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लघु जल विद्युत परियोजना नीति में हुआ बदलाव

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 952

टाईम लिमिट पीपीए पर आधारित की,
राज्य के बाहर भी बिजली बेचने की सुविधा दी

14 नवंबर 2019। राज्य की कमलनाथ सरकार ने नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अंतर्गत वर्ष 2011 में बनी लघु जल विद्युत आधारित परियोजना नीति में आठ साल बाद बदलाव कर दिया है। अब परियोजना स्थापित करने की शर्तें हायडल पावर डेवलपमेंट एग्रीमेंट यानि एचपीडीए के आधार पर न होकर पावर परचेस एग्रीमेंट के आधार पर होंगी जिससे आवेदक को परियोजना स्थापित करने के लिये पर्याप्त समय मिल जायेगा। यही नहीं, आवेदक अपनी परियोजना से अब राज्य के बाहर भी अपनी उत्पादित बिजली बेच सकेगा।
वर्ष 2011 की पुरानी नीति में प्रावधान था कि एचपीडीए निष्पादित होने की तिथि से परियोजना को 30 से 33 माह में पचास प्रतिशत तक पूरा करना होगा और परियोजना को कार्यशील करने की अवधि 35 से 48 माह होगी। चूंकि आवेदक को राजस्व, वन, बिजली विभाग आदि से विभिन्न अनुमतियां लेनी होती है और इसमें समय लगता है, इसलिये वह एचपीडीए के बाद मिली समयावधि में अपनी परियोजना चालू या कार्यशील नहीं कर पाता था। उसे बैंक से ऋण भी नहीं मिल पाता था। इसीलिये अब पावर परचेस एग्रीमेंट यानि पीपीए का प्रावधान कर दिया गया है जिसके अंतर्गत अब पीपीए करने के बाद आवेदक 24 माह में परियोजना का पचास प्रतिशत काम पूर्ण कर सकेगा तथा 30 माह में परियोजना कार्यशील कर सकेगा।
इसी प्रकार पुरानी नीति के तहत आवेदक लघु जल विद्युत परियोजना से उत्पादित बिजली राज्य के अंदर ही बेच सकता था परन्तु अब उसे राज्य के बाहर भी बिजली बेचने की अनुमति दी गई है।
वापस होगा वचनबध्दता शुल्क :
नीति में एक बदलाव यह भी किया गया है कि यदि आवेदक का टेण्डर में चयन नहीं होता है तो उसे वचनबध्दता शुल्क वापस कर दिया जायेगा। यह वचनबध्दता शुल्क एक लाख रुपये प्रति मेगावाट होता है।
परियोजना का हस्तांतरण एक वर्ष में भी हो सकेगा :
पुरानी नीति में प्रावधान था कि वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने से 5 वर्ष तक परियोजना का हस्तांतरण किसी अन्य को नहीं हो सकेगा तथा 5 वर्ष बाद हस्तांतरण सरकार की अनुमति से हो सकेगा। अब इस प्रावधान को खत्म कर नया प्रावधान किया गया है कि वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने के बाद एक वर्ष के अंदर परियोजना का हस्तांतरण हिस्सेदारी कंपनी को हो सकेगा तथा एक वर्ष उपरान्त एक लाख रुपये प्रति मेगावाट की दर से हस्तांतरण शुल्क सरकार को देकर अन्य व्यक्ति को किया जा सकेगा। वर्ष 2020 के बाद इस हस्तांतरण शुल्क में दस प्रतिशत प्रति वर्ष की वृध्दि की जायेगी।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि लघु जल विद्युत आधारित परियोजना नीति में बदलाव कर टाईम लिमिट बढ़ाई गई है। अभी 59 परियोजनायें चल रही हैं तथा हाल ही में दमोह में एक प्रोजेक्ट कमीशन्ड हुआ है। नीति में बदलाव के बाद अब नये निवेशक इस क्षेत्र में आयेंगे।



- डॉ. नवीन जोशी

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