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प्राधिकरणों की सम्पत्तियों के प्रबंधन एवं व्ययन नियम बदलेंगे

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1135

5 प्रतिशत शुल्क देकर आवंटन क्रमांक बदला जा सकेगा

27 नवंबर 2019। कमलनाथ सरकार ने पिछली भाजपा सरकार द्वारा 1 अक्टूबर 2018 को जारी मप्र विकास प्राधिकरणों की सम्पत्तियों का प्रबंधन तथा व्ययन नियम में बदलाव के आदेश जारी कर दिये है। अब प्राधिकरण द्वारा आवंटित किसी भूखण्ड या भवन अथवा वासगृह का क्रमांक बदला जा सकेगा जिसके लिये प्रीमीयम राशि अथवा प्रचलित कलेक्टर गाईड लाईन का 5 प्रतिशत जो भी अधिक हो, भुगतान करना होगा। ये नये बदलाव 1 दिसम्बर 2019 के बाद पूरे प्रदेश में प्रभावशील हो जायेंगे।
नये बदलावों के अंतर्गत अब प्राधिकरणों की सम्पत्तियों के व्ययन हेतु आवासीय सह व्यवसायिक एवं मिश्रित भू उपयोग प्रयोजन को भी शामिल कर लिया गया है। पहले सिर्फ वाणिज्यिक प्रयोजन ही शामिल था। इसी प्रकार, अब कार्नर के भूखण्ड के अंतरण हेतु कलेक्टर गाईड लाईन के अनुसार दस प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लेकर किया जा सकेगा।
किश्तों पर ब्याज दर 10 प्रतिशत अधिक नियत की :
नये बदलाव के अंतर्गत अब प्राधिकरणों द्वारा आवंटियों से किश्तों पर ली जाने वाली ब्याज दर दस प्रतिशत अधिक नियत की गई है। पहले प्रावधान था कि ऐसी किश्तों पर अधिकतम ब्याज की दर रिजर्व बैंक द्वारा अनुसूचित ऋण दर में दो प्रतिशत जोडक़र निर्धारित की जायेगी लेकिन अब दो प्रतिशत के स्थान पर 10 प्रतिशत जोडक़र किश्तों पर ब्याज निर्धारित किया जायेगा।
पट्टावधि खत्म होने पर हो सकेगा नवीनीकरण :
नये बदलाव के तहत अब पट्टावधि खत्म होने पर उसका तीस वर्षों के लिये नवीनीकरण प्राधिकरण का मुख्य कार्यपालन अधिकारी कर सकेगा। इसके लिये प्रीमीयम राशि का निर्धारण आवासीय भूखण्ड/भवन हेतु प्रचलित बाजार दर का 0.5 प्रतिशत के अनुसार होगा। आवासीय सह वाणिज्यिक, वाणिज्यिक तथा औद्योगिक प्रयोजन हेतु भूमि के उपयोग की दशा में बाजार दर का एक प्रतिशत तथा सार्वजनिक एवं अध्र्द सार्वजनिक प्रयोजन हेतु बाजार दर का 0.25 प्रतिशत एवं पट्टा-भाटक मूल पट्टा भाटक का चार गुना अथवा प्रचलित बाजार मूल्य का 0.5 प्रतिशत जो भी कम हो, निर्धारित किया जायेगा।
इसी प्रकार, अब अंतरण शुल्क 5 हजार रुपये के स्थान पर कलेक्टर गाईड लाईन के अनुसार 0.25 प्रतिशत अथवा 5 हजार रुपये जो भी अधिक हो, देय होगा। इसके अलावा अब हस्तांतरण शुल्क एवं हस्तांतरण शुल्क पर ब्याज की गणना विक्रय पत्र के रजिस्ट्रीकरण की तारीख से की जायेगी। एक नया बदलाव यह भी किया गया है कि सिर्फ पट्टाधारी ही नहीं आवंटिती भी उक्त नियमों का लाभ ले सकेंगा क्योंकि जब प्राधिकरण की सम्पत्ति आवंटित होती है तब उसका पट्टा बनने में काफी समय लगता है।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि विकास प्राधिकरणों की सम्पत्तियों के प्रबंधन व्ययन के नियम बदले जा रहे हैं। इसमें नये बदलाव सरकार ने जारी कर दिये हैं। इन्हें अगले माह लागू किया जायेगा।


? डॉ. नवीन जोशी

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