जल संसाधन विभाग अब हटायेगा डूब की भूमि से अतिक्रमण एवं रोकेगा निर्माण
4 फरवरी 2020। प्रदेश में अब भारत सरकार के वेटलैण्ड नियम 2017 प्रभावशील होंगे। इन्हें प्रभावशील करने के लिये राज्य के पर्यावरण विभाग के अंतर्गत कार्यरत पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन यानि एप्को ने सभी संबंधितों को पत्र भेजा है। राज्य का जल संसाधन विभाग अब उक्त नियमों के तहत अपने अधीन के जलाशयों की डूब की भूमि से अतिक्रमण हटायेगा और निर्माण कार्य रोकेगा। इसके लिये उसने अपने सभी मुख्य अभियंताओं को निर्देशित कर दिया है।
एप्को ने सभी विभागों को लिखे अपने पत्र में कहा है कि भारत सरकार ने वेटलैण्ड नियम 2017 अधिसूचित कर दिये हैं। इसके तहत प्रदेश में पर्यावरण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा की अध्यक्षता में राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण का गठन किया गया है। उक्त नियमों के बिन्दु 4 में उल्लेखित गतिविधियां वेट लैण्ड पर प्रतिबंधित की गई हैं। इस पर जल संसाधन विभाग ने सभी मुख्य अभियंताओं को ये गतिविधियां प्रतिबंधित करने के निर्देश जारी कर दिये हैं।
यह होता है वेटलैण्ड :
वेटलैण्ड दरअसल आर्द भूमि होती है। जलाशय जिसमें तालाब, झील आदि सभी आते हैं, की डूब की भूमि वेटलैण्ड में आती है। यह भूमि वर्षाकाल में अपने समूचे निर्धारित क्षेत्र तक भर जाती है परन्तु गर्मी में इसका पानी उतर जाता है। जितनी भूमि से यह पानी उतरता है वह वेटलैण्ड कहलाती है।
अब वेटलैण्ड में ये क्रियाकलाप प्रतिबंधित रहेंगे :
वेटलैण्ड नियमों के तहत आर्द्र भूमि के भीतर छह प्रकार के क्रियाकलाप प्रतिबंधित रहेंगे। इनमें शामिल हैं : एक, किसी भी किस्म के अतिक्रमण सहित गैर आर्द्र भूमि उपयोग हेतु परिवर्तन पर रोक रहेगी। दो, किसी उद्योग की स्थापना नहीं होगी और न उसका विस्तार होगा। तीन, विध्वंस अपशिष्ट, परिसंकटमय रसायन का विनिर्माण एवं भण्डारण नहीं होगा। चार, उद्योगों, शहरों, कस्बों, गांवों और अन्य मानव बस्तियों से अशोधित ठोस अपशिष्ट का निस्सारण नहीं होगा। पांच, आर्द्र भूमि के पचास मीटर दूर तक सिवाय नाव घाटों के, कोई निर्माण नहीं होगा। इसके लिये पिछले दस सालों में देखा जाये कि बाढ़ का पानी कहां तक पहुंचा है। छह, आर्र्द्र भूमि पर कोई अवैध शिकार नहीं होगा।
जल संसाधन विभाग सिर्फ बिन्दुओं पर कार्यवाही करेगा :
राज्य का जल संसाधन विभाग उक्त छह बिन्दुओं में से सिर्फ दो बिन्दुओं पर कार्यवाही करेगा। ये दो बिन्दु हैं : किसी भी किस्म के अतिक्रमण सहित गैर आर्द्र भूमि उपयोग हेतु परिवर्तन पर रोक रहेगी तथा आर्द्र भूमि के पचास मीटर दूर तक सिवाय नाव घाटों के, कोई निर्माण नहीं होगा। इसके लिये पिछले दस सालों में देखा जाये कि बाढ़ का पानी कहां तक पहुंचा है। विभाग ऐसा इसलिये करेगा क्योंकि उसके जलाशयों से संबंधित ये दो ही बिन्दु हैं तथा शेष बिन्दु अन्य विभागों के हैं।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि हमें एप्को ने केंद्र के वेटलैण्ड नियमों का पालन करने के लिये कहा है। इसमें दो बिन्दु ही हमारे अन्तर्गत आते हैं जिन पर कार्यवाही करने के लिये सभी मुख्य अभियंताओं को निर्देशित किया गया है।
- डॉ. नवीन जोशी
प्रदेश में अब वेटलैण्ड नियमों का पालन होगा...
Place:
Bhopal 👤By: DD Views: 1281
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