×

अब नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमियों हेतु भी ग्रामों की तरह बनेंगे अभिलेख

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1334

लोक प्रयोजनों के लिये चिन्हित होगी भूमि, नई भू-राजस्व संहिता के तहत राज्य सरकार ने जारी किया नये नियमों का प्रारुप
28 फरवरी 2020। अब प्रदेश की नगरीय क्षेत्रों में स्थित शासकीय भूमियों के भी उसी प्रकार अभिलेख बनेंगे जिस प्रकार से ग्रामों के लिये बनते हैं। पहले ऐसा नहीं होता था। इससे अब नगरीय क्षेत्रों में लोक प्रयोजनों के लिये भूमि चिन्हित हो सकेगी। इस संबंध में राज्य सरकार ने नई भू-राजस्व संहिता 2018 के तहत नये नियमों का प्रारुप जारी कर दिया है जो अब लागू होने जा रहे हैं। नये नियमों को मप्र भू-राजस्व संहिता दखलरहित भूमि, आबादी तथा वाजिब-उल-अर्ज नियम 2020 नाम दिया गया है।
शासकीय भूमि ही होती है दखलरहित भूमि :
दखलरहित भूमि दरअसल शासकीय भूमि ही होती है जो ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र दोनों में रहती है। दखलरहित भूमि को जिला कलेक्टर आठ प्रयोजनों के लिये अलग से रख सकेंगे। ये आठ प्रयोजन हैं : एक, मुरम, कंकड़, रेत, मिट्टी, पत्थर या कोई अन्य गौण खनिज निकालने हेतु। दो, सिंचाई तथा अन्य जल अधिकार हेतु। तीन, फलदार वृक्ष हेतु। चार, मनोरंजन के लिये जैसे उद्यान, हरित क्षेत्र या वनाच्छिादित क्षेत्र, क्षेत्रीय उद्यान (प्राणी उद्यान या वनस्पति शास्त्रीय), प्राकृतिक क्षेत्रों या भू-दृश्य क्षेत्रों का संरक्षण, स्टेडियम, झील के सामने का विकास और प्रदर्शनी मैदान हेतु। पांच, सर्वाजनिक एवं अध्र्द सार्वजनिक प्रयोजनों के लिये जैसे सार्वजनिक संस्थायें और प्रशासनिक क्षेत्र/शिक्षण और अनुसंधान/स्वास्थ्य/सामाजिक/ सांस्कृतिक संस्थागत गतिविधियों हेतु। छह,
परिवहन प्रयोजनों के लिये जैसे बस स्टण्ड या टर्मिनस, बस पिक अप स्टेशन, सडक़ें, रेल्वे स्टेशन, रेल्वे लाईलें, बस डिपो, ट्रांसपोर्ट नगर, हेलीपेड/हवाई अड्डा तथा मेट्रो रेल स्टेशन। सात, सार्वजनिक उपयोगिता और सुविधा प्रयोजनों के लिये जैसे जल शोधन संयंत्र, मल शोधन संयंत्र, ट्रेचिंग ग्राउण्ड, ट्रंक लाइन कारीडोर, जल/मल/अतिरिक्त वोल्टेज विद्युत लाइन/गैस या तेल पाइप लाइन और संबंधित संरचनायें, रेडियो/टीवी स्टेशन, दूरसंचार केंद्र, अग्नि नियंत्रण स्टेशन और ठोस अपशिष्ट निपटान संयंत्र/ अपघटन संयंत्र हेतु। आठ, कोई निस्तारी यानि सामुदायिक अधिकार जो कि अनुसूचित जनजाति और परम्परिक वनवासी वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के अधीन दिये गये हैं।
ग्राम एवं नगर के अभिलेख ऐसे बनेंगे :
नये नियमों के अनुसार, अब ग्राम की दखलरहित भूमि का अभिलेख दो हिस्सों में बनेगा। भाग क के अंतर्गत निस्तार अधिकारों के प्रयोग के लिये पृथक रखी गई भूमि दर्शाते हुये फार्म क में जिसे निस्तार पत्रक के नाम से जाना जायेगा तथा भाग ख के अंतर्गत निस्तार अधिकारों के प्रयोग के लिये पृथक रखी गई भूमि से भिन्न समस्त भूमियों को दर्शाते हुये प्रारुप ख में। इन अभिलेखों की ग्राम वार प्रति ग्राम पंचायत में रखी जायेगी और दूसरी प्रति तहसील कार्यालय में रखी जायेगी।
इसी प्रकार नगरीय क्षेत्र की दखलरहित भूमि के अभिलेख भाग क के अंतर्गत लोक प्रयोजनों के लिये पृथक से रखी गई भूमि दर्शाते हुये फार्म ग में तथा लोक प्रयोजनों के लिये पृथक रखी गई भूमि से भिन्न समस्त भूमियों को दर्शाते हुये फार्म घ में ये अभिलेख बनाये जायेंगे। इन अभिलेखों की सेक्टर वार प्रति स्थानीय निकाय के कार्यालय में रखी जायेगी और दूसरी प्रति तहसील कार्यालय में रखी जायेगी।
ऐसे तैयार होगा निस्तार पत्रक :
अब निस्तार पत्रक ग्राम सभा या उपखण्ड अधिकारी निस्तार पत्रक का प्रारुपन तैयार करने के लिये ग्राम विकास समिति से कह सकेगा। अंतिम निस्तार पत्रक ग्राम में या उपयुक्त केंद्रों पर पढ़ कर सुनाया जायेगा और उसकी प्रति पटवारी ग्राम पंचायत तथा तहसील कार्यालय में रखवायेगा।
इसी प्रकार, अब ग्रामों की दखलरहित भूमि का आबादी के लिये भी कलेक्टर डायवर्सन कर सकेगा। इसके लिये ग्राम संभा को संकल्प पारित करना होगा।
इसके अलावा वाजिब उल अर्ज के अंतर्गत जोकि एक प्रकार से शासकीय भूमि का ही रजिस्टर होता है, चौदह प्रकार के कामों के लिये दर्ज हो सकेगी जैसे सिंचाई का अधिकार, अन्य जल अधिकार, मछली पकडऩे का अधिकार, मार्ग-ग्राम सडक़ें-पथों-नालियों के अधिकार, ग्राम की भूमि पर अन्य ग्रामों के व्यक्तियों के अधिकार, अन्य ग्रामों की भूमि पर ग्रामवासियों के अधिकार, कब्रिस्तान, गोठान, पड़ाव की भूमि, खलिहान, बाजार, चमड़ा निकालने का स्थान, पशु चराई तथा ईंधन लेने का अधिकार तथा अन्य विविध अधिकार। इसकी प्रति भी ग्राम पंचायत एवं तहसील कार्यालय में रखी जायेगी।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2018 में संशोधित भू-राजस्व संहिता के प्रावधानों का पालन करने के लिये नये नियमों का प्रारुप जारी किया गया है। इसमें पहली बार नगरीय क्षेत्रों की शासकीय भूमियों के लिये अभिलेख तैयार करने का प्रावधान किया गया है।


- डॉ. नवीन जोशी

Related News

Global News