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अब प्रदेश के सरकारी डाक्टर छह विधाओं में मुम्बई की संस्था से डिप्लोमा कर सकेंगे

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 620

राज्य सरकार ने लागू किया नया कानून
13 मार्च 2020। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सेवारत डाक्टर अब छह अन्य विधाओं में मुम्बई की सौ साल से भी अधिक पुरानी संस्था से डिप्लोमा कर सकेंगे। इससे उन्हें विशेषज्ञता हासिल होगी तथा वे इस प्रकार प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञों की कमी को पूरी कर सकेंगे। यह नया प्रावधान राज्य सरकार ने संबंधित कानून में संशोधन के जरिये लागू कर दिया है।
तैंतीस साल पुराने कानून में किया संशोधन :
प्रदेश के सेवारत शासकीय डाक्टरों को विशेषज्ञता दिलाने के लिये राज्य सरकार ने अपने तैंतीस साल पुराने कानून मप्र आयुर्विज्ञान परिषद अधिनियम 1987 में संशोधन किया है। इस संबंध में संशोधन विधेयक विधानसभा के गत शीतकालीन सत्र में पारित किया गया था और अब राज्यपाल लालजी टण्डन ने इसे मंजूरी प्रदारन कर दी है और इससे यह नया प्रावधान राज्य में लागू हो गया है।
इन छह विधाओं में मिलेगा डिप्लोमा :
प्रदेश के सरकारी डाक्टरों को कालेज आफ फिजिशियन एण्ड सर्जन सर्जन मुम्बई से छह विधाओं यथा एनेस्थीसिया, जनरल मेडिसिन, साईकोलाजिकल मेडिसिन, मेडिकल रेडियोलाजी एण्ड इलेक्ट्रोलाजी तथा इमरजेंसी मेडिसिन में डिप्लोमा प्राप्त हो सकेगा। मुम्बई की उक्त संस्था सौ साल से भी अधिक पुरानी है तथा वर्ष 1912 से कार्यरत है। मप्र सरकार ने इस संस्था से इन छह विधाओं में डिप्लोमा कराने हेतु करार भी किया हुआ है।
यह रहेगी प्रक्रिया :
प्रदेश के सेवरात शासकीय डाक्टरों को पहले राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करना होगी तथा मेरिट के आधार पर उनका चयन होगा। फिर मुम्बई की उक्त संस्था इन्हें प्रदेश के चयनित सरकारी अस्पतालों में उक्त डिप्लोमा कोर्स पढ़ायेगी। इसके बाद ये डाक्टर परीक्षा देंगे और उत्तीर्ण होने पर डिप्लोमा प्राप्त करेंगे। इस डिप्लोमा के आधार पर उन्हें मिली विशेषज्ञता का उपयोग उन सरकारी अस्पतालों में होगा जहां ऐसे विशेषज्ञों की कमी है।
पहले भी ऐसा संशोधन हुआ था :
राज्य सरकार ने पहले भी दो ऐसे संशोधन किये थे परन्तु अब इनका वर्तमान में उपयोग नहीं है। पहले राज्य सरकार ने नागपुर के राबर्टसन मेडिकल स्कूल को रुरल मेडिकल प्रेक्टिशनर डिप्लोमा इन मेडिकल प्रैक्टिस हेतु अनुबंधित किया था जिससे सरकारी डाक्टरों को आरएमपी एवं डीएमपी मिलती थी। लेकिन अब यह बंद है। इसी प्रकार, जब सागर स्थित बुन्देलखण्ड मेडिकल कालेज खुला तो मेडिकल कौंसिल आफ इण्डिया ने उसे विभिन्न कमियों के चलते मान्यता नहीं दी जिससे इस कालेज से निकलने वाले डाक्टरों की मान्यता खतरे में आ गई थी। इसलिये राज्य सरकार ने इस मेडिकल कालेज को अपने कानून में संशोधन के जरिये मान्यता प्रदान कर दी। बाद में इस कालेज को मेडिकल कौसिल आफ इण्डिया से भी मान्यता मिल गई जिससे अब इस प्रावधान की जरुरत नहीं रह गई है।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि प्रदेश के शासकीय अस्पतालों में सेवारत डाक्टरों को विशेषज्ञता दिलाने के लिये यह नया कानूनी उपबंध किया गया है। वे अब नीट के जरिये मेरिट के आधार पर चयनित होंगे और उन्हें निर्धारित छह विधाओं में डिप्लोमा करने का अवसर प्राप्त हो सकेगा। इससे राज्य के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डाक्टरों की कमी पूरी हो सकेगी।


-डॉ. नवीन जोशी

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