10 अप्रैल 2020। प्रदेश में कोरोना वायरस के जहां-जहां पाजीटिव केस निकले हैं वहां-वहां इससे प्रभावितों मरीजों को जो दवायें दी जा रही हैं वे ट्रायल बेसेस पर दी जा रही हैं। इसलिये ऐसे उपचाररत मरीजों से सहमति-पत्र यानि इंफार्मड कन्सेंट फार्म भरवाये जायें।
उक्त ताजा निर्देश राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी अस्पतालों, अध्यक्ष नर्सिंग होम एसोसियेशन मप्र तथा अध्यक्ष इंडियन मेडिकल एसोसियेशन मप्र को जारी किये हैं। साथ ही इसकी सूचना जिला कलेक्टरों को भी दी गई है।
यह कहा गया निर्देशों में :
निर्देशों में कहा गया है कि नोवल कोरोना वायरस के उपचार में उपयोग होने वाली औषधियोंं का वर्तमान में ट्रायल प्रचलन में है। इसलिये जनस्वास्थ्य के दृष्टिगत आमजन के उपयोग हेतु समस्त उपचाररत रोगियों से इन्फाम्र्ड कन्सेंट फार्म भरवाये जायें।
दो केटेगरी में बांटा रोगियों को :
स्वास्थ्य विभाग ने कोविड-19 प्रभावित रोगियों को दो केटेगरी में बांटा है। केटेगरी एक में तीन श्रेणियां बनाई गई हैं। ए श्रेणी माइल्ड केसेस की है जिसमें सर्दी के लक्षण के साथ हल्का बुखार/गले में खराश/खांसी/नाक बहना/दस्त, पाजीटिव कोविड केस की कान्टेक्ट हिस्ट्री नहीं तथा इन रोगियों की लैब जांच न की जाये- शामिल हैं। ए श्रेणी के रोगियों के बारे में कार्यवाही बताई गई है कि उन्हें 14 दिन होम क्वारेन्टाईन में रखा जाये तथा इन लक्षणों का उपचार किया जाये।
श्रेणी बी मोडरेट केसेज की है जिसमें शामिल हैं : तेज बुखार के साथ/गले में खराश/खांसी। बी श्रेणी के रोगियों को दो भागों में बांटा गया है यथा एक हाई रिस्क कान्टेक्ट जिसमें शामिल है : पाजीटिव कोराना केस से सम्पर्क, अस्पताल जहां कोरोना केसों का उपचार हो रहा है वहां भ्रमण किया हो, ऐसा क्षेत्र जिन्हें लोकल ट्रांस्मिशन क्षेत्र चिन्हित किया गया है- में भ्रमण किया हो, मरीज के शारीरिक द्रव्य यानि सीक्रेशन-ब्लड-उल्टी-सलाईवा-यूरिन के सम्पर्क में आया हो, बिना पीपीई के मरीज के फिजिकल कान्टेक्ट में आया हो, मरीज के कपड़े/पलंग के वस्त्र/खाने के बर्तन के सम्पर्क में आया हो, पाजीटिव कोरोना केस के करीब सम्पर्क में यानि एक मीटर से कम में आया हो तथा पाजीटिव कोरोना केस का हवाई/रेल सहयात्री जो उसी पंक्ति या 3 पंक्ति आगे या पीछे बैठा हो - इसमें यह कार्यवाही करना होगी यथा ऐसे रोगियों को कोरोना की पुष्टि करने हेतु केस की नियमानुसार लैब जांच की जाये, यदि जांच नेगेटिव आती है तो जिला अस्पताल में अंडर आब्जेरवेशन रख के लक्षणों की जांच की जाये तथा यदि रोगी की हालत स्थिर हो तो 14 दिन होम क्वारेन्टाईन में रखा जाये, यदि जांच पाजीटिव तथा रोगी लक्षण रहित है तथा रोगी को 72 घण्टों से अधिक की समयावधि में बुखार न आया हो/ सात दिनों से अधिक समयावधि में लक्षण न आये हो/यथासंभव रोगी के पूर्व कोविड की दो जांच निगेटिव आई हो- तो ऐसे रोगियों को उनके घरों में होम आईसोलेशन में रखा जाये तथा उसके बुखार की निगरानी रखी जाये। इसके अलावा हाई रिस्क रोगियों जो 5 वर्ष से कम अथवा 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं- को क्लीनिकल जांच के आधार पर निर्णय लेकर अस्पतालों में भर्ती किया जाये। यदि जांच पाजीटिव आती है तथा रोगी में बीमारी के लक्षण हैं तो तत्काल उच्च उपचार के लिये मेडिकल कालेज/चिन्हित अस्पताल में दलाज के लिये रैफर किया जाये।
दो, लो रिस्क कान्टेक्ट में कार्यस्थल में एक साथ काम करने वाले वे लोग अपुष्ट कोरोना केस के सम्पर्क में आया हो या यात्रा की हो अथवा विदेश यात्रा की हो- आयेंगे। इनमें यह कार्यवाही होगी यथा लैब जांच करवाई जाये, जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर 14 दिन जिला चिकित्सालय के आईसोलेशन वार्ड में भर्ती कर उपचार कराया जाये, यदि जांच पाजीटिव आती है और रोगी लक्षणरहित है तो 14 दिन होम क्वारेन्टाईन किया जाये तथा यदि जांच पाजीटिव आती है और बीमारी के लक्षण हैं तो मेडिकल कालेज उच्च उपचार हेतु रैफर किया जाये।
केटेगरी सी में तेज बुखार/गले में खराश/खांसी के साथ सांस लेने में तकलीफ आयेंगे जिनमें कार्यवाही लैब जांच कराई जायेगी तथा पाजीटिव आने पर मेडिकल कालेज या चिन्हित अस्पताल में रैफर किया जाये और जांच निगेटिव आने पर जिला अस्पताल में अंडर आब्जरवेशन में रखा जाये।
दूसरी केटेगरी उपचार की है जिसमें इन्फाम्र्ड कन्सेंट फार्म भरवाये जाना हैं।
- डॉ.नवीन जोशी
कोरोना वायरस की दवायें अभी ट्रायल पर मरीजों से भरवाया जायेगा सहमति पत्र
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Bhopal 👤By: DD Views: 728
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