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अपनी बनाई "ई प्रणाली" से पिछड़ते शिवराज....?

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 414

कोविड-19 संक्रमण में लाभ नहीं ले सके
कमलनाथ सरकार ने भी इस पर अमल नहीं किया

22 अप्रैल 2020। कोरोना वायरस संक्रमण के वर्तमान दौर में चल रहे लॉकडाऊन में राज्य शासन की महत्वपूर्ण योजना ई-आफिस प्रणाली समय पर शुरु न करने का खामियाजा वर्तमान शिवराज सरकार को उठाना पड़ रहा है। दरअसल यह प्रणाली पिछली कमलनाथ सरकार को वर्ष 2019 में प्रारंभ करना थी परन्तु वह इस पर अमल नहीं कर पाई।

वर्ष 2018 में बनी थी योजना :

ई-आफिस प्रणाली की योजना वर्ष 2018 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने बनाई थी। उस समय 27 मार्च 2018 को जीएडी ने निर्देश जारी किये थे कि मंत्रालय में 2 अप्रैल 2018 से मंत्रालय में नस्तियों का आनलाईन परिचालन प्रारंभ किया जाये। परन्तु तकनीकी कारणों से यह प्रारंभ नहीं हो पाई। इसके बाद 22 मई 2018 को जीएडी ने ई-आफिस प्रणाली में नस्तियों में डिजिटल हस्ताक्षर अथवा ई-साईन का उपयोग करने के निर्देश जारी किये। लेकिन मंत्रालय के उच्च अधिकारियों ने इस पर फिर ध्यान नहीं दिया। इस बीच विधानसभा आम चुनाव आ गये।

कमलनाथ सरकार भी अमल नहीं कर पाई :

वर्ष 2018 के अंत में कमलनाथ सरकार आने के बाद ई-आफिस प्रणाली पर पुन: संज्ञान लिया गया तथा 28 जून 2019 को जीएडी ने निर्देश जारी कहा कि ई-आफिस प्रक्रिया में अवरोध आने के कारण ई-आफिस का क्रियान्वयन कुछ समय पश्चात व्यवाहरिक रुप से एच्छिक हो गया था। इसलिये 15 अगस्त 2019 से मंत्रालय में ई-आफिस प्रणाली प्रारंभ की जाये। यही नहीं, जीएडी ने विभागाध्यक्ष कार्यालयों में 2 अक्टूबर 2019 से तथा संभागों एवं जिला कार्यालयों में 31 दिसम्बर 2019 से ई-आफिस प्रणाली लागू करने के भी निर्देश दिये गये। परन्तु न ही मंत्रालय में, न ही विभागाध्यक्ष कार्यालयों और न ही संभाग/जिला कार्यालयों ने यह प्रणाली प्रारंभ की।

लॉकडाऊन में भुगतना पड़ रहा है खामियाजा :

यदि कमलनाथ सरकार ने ई-आफिस प्रणाली गत वर्ष प्रारंभ कर दी होती तो अब लॉकडाऊन में इसका भरपूर लाभ मिलता। लेकिन लेटलतीफी का खामियाजा सरकार के लोगों को उठाना पड़ रहा है।



- डॉ. नवीन जोशी

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