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महेश्वर की तर्ज पर 6 निजी बिजली परियोजनाओं को बंद करने से बचेंगे 50,000 करोड़ रुपये

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1177

नर्मदा बचाओ आंदोलन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर परियोजनाओं को रद्द करने की मांग की
28 अप्रैल 2020। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा महेश्वर विद्युत परियोजना को सार्वजनिक हित में न मानते हुए रद्द करने के निर्णय के सन्दर्भ में नर्मदा बचाओ आन्दोलन के आलोक अग्रवाल ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रदेश में वर्तमान जारी गैर जरुरी 6 निजी परियोजनाओं को तत्काल रद्द किया जाये ताकि इससे प्रदेश की जनता को 50,000 करोड़ रूपये के बोझ से बचाया जा सके।
कौन सी हैं परियोजनाएं :
श्री अग्रवाल ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि जेपी बीना पावर सागर, जेपी निगरी जिला सिंगरौली, झाबुआ पावर सिवनी, एमबी पावर अनूपपुर, बीएलए पावर गाडरवारा एवं लैंको अमरकंटक को गत वर्ष नियत प्रभार के रूप में 2034 रु. का गैर जरुरी भुगतान किया गया।
परियोजनाओं के समझौते गैरकानूनी :
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया गया है कि भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के तहत घोषित टेरिफ पॉलिसी 6 जनवरी 2006 एवं अन्य नियमों के अनुसार जेपी बीना पावर, जेपी निगरी, झाबुआ पावर, एमबी पावर एवं बीएलए पावर के साथ समझौते प्रतिस्पर्धात्मक बोली के आधार पर होने थे। परन्तु इसका खुला उल्लंघन करते हुए ये समझौते एक ही दिन में 5 जनवरी 2011 को बिना किसी प्रतिस्पर्धात्मक बोली के सीधे किये गए। यह भी आश्चर्यजनक है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले दो अधिकारी गजराज मेहता और संजय मोहसे उस दिन सम्बंधित पद पर पदस्थ ही नहीं थे और तीन अधिकारियों एबी बाजपेयी, पीके सिंह और एनके भोगल ने एक ही दिन भोपाल में और जबलपुर में समझौतों पर हस्ताक्षर किये। यह साफ बताता है कि समझौतें फर्जी हैं और गैरकानूनी हैं।
इसी प्रकार लैंको अमरकंटक को ब्लैक लिस्ट करने के बावजूद राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिये समझौता कर लिया गया, और समझौते के बाद बिना नियामक आयोग की अनुमति के और समझौते की शर्तों का उल्लंघन करते हुए बिजली खरीदी कर व्यर्थ में 223.81 करोड़ रु का नियत प्रभार इस कंपनी को दिया गया है।
जनता पर आयेगा 50,000 करोड़ का भार :
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि वर्तमान में मप्र में 3000 करोड़ यूनिट बिजली हमारी सम्पूर्ण खपत के बाद भी अतिरिक्त उपलब्ध है। इन 6 निजी परियोजनाओं से गत वर्ष सरकार ने मात्र 789 करोड़ यूनिट बिजली खरीदी, जिसमें बिजली के दाम के अतिरिक्त सरकार ने नियत प्रभार के नाम पर 2034 करोड़ रु का भुगतान इन निजी कंपनियों को किया है। इन समझौतों के अनुसार सरकार को यह भुगतान 25 वर्षों तक करना पड़ेगा। अत: प्रदेश की जनता से 50,000 करोड़ रूपये बिजली के दाम बढ़ाकर वसूले जायेंगे।
प्रदेश की सस्ती बिजली के बिजली घर बंद :
श्री आलोक अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को इस बात पर ध्यान दिलाया है कि मध्य प्रदेश में उपरोक्त निजी बिजली परियोजनाओं से बिजली खरीदने के कारण प्रदेश की बरगी, बाणसागर व पेंच जैसी अत्यंत सस्ती बिजली पैदा करने वाली जल विद्युत् परियोजनाओं से बिजली नहीं बनाई जा रही है और इस कारण इन बांधों के जलाशय अभी भी लगभग पूरे भरे हुए हैं।



- डॉ. नवीन जोशी

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