विशाखापट्टनम की घटना का दिया हवाला
11 मई 2020। देश के विशाखापट्टनम नगर में गत 7 मई को एलजी केमिकल्स लिमिटेड कारखाने से स्टायरीन गैस के रिसाव की घटना से सबक लेते हुये मप्र सरकार ने भी अपने राज्य के खतरनाक एवं अति खतरनाक श्रेणी वाले सभी 73 कारखानों को रासायनिक दुर्धटना से बचाव के निर्देश जारी किये हैं। ये निर्देश राज्य के श्रम विभाग के अंतर्गत कार्यरत औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के प्रभारी संचालक जितेन्द्र व्यास ने जारी किये हैं।
यह कहा गया निर्देश में :
निर्देश में बताया गया है कि विशाखापट्टनम में घटी घटना बड़ी औद्योगिक दुर्धटना है जिसके परिणामस्वरुप कारखाने के आसपास लगभग 5 किलोमीटर का क्षेत्र प्रभावित हुआ है एवं अनेक व्यक्तियों की मृत्यु हो गई तथा कई गंभीर रुप से प्रभावित हुये हैं। वहां रिसी स्टायरीन गैस एरोमेटिक हाईड्रोकार्बन है जो टैंक्स में एमिब्एंट तापमान से कम तापमान पर स्टोर किया जाता है। अैंक के तापमान में वृध्दि होने पर स्टायरीन वेपर का निर्माण होना प्रारंभ होकर पालीमराईजेशन प्रारंभ हो जाता है। स्टायरीन एक टाक्सिक पदार्थ है। प्रारंभिक तौर पर विशाखापट्टनम दुर्धटना का कारण स्टायरीन का सुरक्षित भण्डार, हैंडलिंग, स्टोरेज टैंक के वाल्व व अन्य फिटिंग्स का पीरियाडिक मेंटीनेंस नहीं होना प्रतीत होता है। दुर्धटना के कारण जिस प्रकार से कारखाना परिसर के बाहर के आमजन प्रभावित हुये उससे प्रतीत होता है कि कारखाने में उपयोग व हैंडल किये जा रहे हजार्डस रसायनों के खतरनाक गुण-धर्मों, उनसे बचाव के उपायों आदि के संबंध में कारखाना प्रबंधन आनसाईट इमरजेंसी प्लान व विस्तृत डिजास्टर कण्ट्रोल मेजर्स के संबंध में कारखानें के आसपास के लोगों को जानकारी नहीं दी गई अन्यथा स्टायरीन लीकेज के उपरान्त आमजन सुरक्षा अपना लेते एवं प्रभावित नहीं होते।
बचाव के अब यह करना होगा :
प्रदेश के सभी खतरनाक श्रेणी के कारखानों के प्रबंधकों से कहा गया है कि वे अपने उत्पादों के खतरनाक गुण-धर्मों एवं बचाव के उपायों आदि के संबंध में समस्त श्रमिकों, स्थानीय प्रशासन एवं आसपास के लोगों को जानकारी दें। कारखाने के संयंत्रों व पाईप लाईन की नियमित निगरानी की जाये जिससे उनके फेल्युर होने की संभावना न रहे। खतरनाक पाइप लाइन में स्टेटिक चार्ज के संबंध में करेंट कन्टीन्युनिटी डिवाइसेस लगाये जायें। उपकरणों का पीरियाडिक मेंटीनेंस किया जाता रहे। कार्यस्थल पर आने वाले श्रमिकों को बचाव के संबंध में नियमित प्रशिक्षण दिया जाये। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण प्रदान किये जायें। आपात स्थिति में डूज एवं डान्ट्स का पालन कराया जाये। कारखाने की स्थिति के अनुसार मीटरोलॉजिकल जानकारी जैसे तापमान, हवा की गति आदि के आधार पर प्रत्येक केमिकल का डेसपर्सन मॉडल तैयार कराया जाये ताकि यह आकलन किया जा सके कि खतरनाक पदार्थ कारखाना परिसर के बाहर कितनी दूर तक जायेगा व उसके प्रभाव क्षेत्र में श्रमिकों के अतिरिक्त कितने आमजन आने की संभावना है और तदानुसार उन्हें रक्षात्मक उपायों की जानकारी दी जाये।
ऐसे हैं प्रदेश के खतरनाक कारखानें :
श्रम विभाग के अनुसार, प्रदेश में कुल 73 खतरनाक श्रेणी के कारखाने हैं जोकि एलपीजी, गैसोलीन, क्लोरिन, कार्बन डाईसल्फाईड, सल्फर ट्राय आक्साईड,
एसकेओ-एचएसडी, प्रोपेन, फोरेट-कार्बोफोरेन, एलएनजी, मिथाईल पेराथियान-फोरेट, ट्राईनाईट टालविन, एकी-लोनाईदाईल, अमोनिया आदि का निर्माण करते हैं या स्टोरेज रखते हैं।
- डॉ. नवीन जोशी
प्रदेश में रासायनिक आपदा से बचाव के निर्देश जारी हुये
Place:
Bhopal 👤By: DD Views: 879
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