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रीवा सौर परियोजना से मिल रही है सस्ती बिजली

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1041

परियोजना से 15.7 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन रोका
8 जुलाई 2020। मध्यप्रदेश सौर ऊर्जा उत्पादन में देश में अग्रणी स्थान पर है। विश्व की सबसे बड़ी परियोजनाओं में रीवा सौर परियोजना शामिल है। लगभग 4 हजार करोड़ की लागत से 750 मेगावाट की रीवा सौर परियोजना में पूर्ण क्षमता के साथ उत्पादन प्रारंभ हो गया है। इसके अलावा पाँच हजार मेगावाट की छ: परियोजनाएँ और निर्माणाधीन हैं। रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर परियोजना को 10 जुलाई को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस परियोजना से लगभग 800 लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।

रीवा सौर परियोजना के लिये मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम और सोलर एनर्जी कार्पोरेशन ऑफ इण्डिया की ज्वाइंट वेंचर कम्पनी के रूप में रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड कम्पनी का गठन किया गया। इस परियोजना को राज्यस्तर पर नवाचार के लिये प्रधानमंत्री पुरस्कार के लिये सर्वश्रेष्ठ परियोजनाओं में चयनित किया गया। इस परियोजना में उत्पादित विद्युत का न्यूनतम टैरिफ 2 रूपये 97 पैसे यूनिट था, जो समकालीन परियोजनाओं से प्राप्त टैरिफ साढ़े चार से पाँच रूपये प्रति यूनिट की तुलना में डेढ़ से दो रूपये तक कम था।

रीवा सौर परियोजना रीवा जिले में 1590 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थापित है। यह दुनिया के सबसे बड़े सिंगल साइट सौर संयंत्रों में से एक है। परियोजना से उत्पादित विद्युत का 76 प्रतिशत अंश प्रदेश की पावर मैनेजमेंट कम्पनी को और 24 प्रतिशत दिल्ली मेट्रो को प्रदान किया जा रहा है। इस परियोजना से प्रथम बार ऑपन एक्सेस के माध्यम से राज्य के बाहर किसी व्यावसायिक संस्थान दिल्ली मेट्रो को बिजली प्रदान की गई। आंतरिक ग्रिड समायोजन के लिए वर्ल्ड बैंक से ऋण प्राप्त करने वाली यह देश के पहली परियोजना है। विश्व बैंक का ऋण राज्य शासन की गारंटी के बिना और क्लिन टेक्नॉलिजी फण्ड (सीटीएफ) के अंतर्गत सस्ती दरों पर दिया गया है।

रीवा सौर परियोजना से प्रतिवर्ष 15.7 लाख टन कार्बन डाईऑक्साइड के उत्सर्जन को रोका जा रहा है, जो 2 करोड़ 60 लाख पेड़ों को लगाने के बराबर है। रीवा सौर ऊर्जा परियोजना न केवल प्रदेश को नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी बल्कि मध्यप्रदेश को अन्य राज्यों एवं व्यावसायिक संस्थानों को बिजली प्रदान करने में अग्रणी रखेगी।

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