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छेड़छाड़ रोकें जिससे आगे बड़े वीभत्स अपराध न हो

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1148

पुलिस मुख्यालय ने जारी किये सभी पुलिस अधीक्षकों को निर्देश

14 अगस्त 2020। राजधानी के पुलिस मुख्यालय ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी कर कहा है कि छेड़छाड़ संबंधी अपराधों पर संवेदनशीलता एवं गंभीरतापूर्वक अन्वेषण करें जिससे आगे ऐसे मामले बड़े एवं वीभत्स अपराधों का रुप न लें।
पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा द्वारा भेजे गये इन निर्देशों में कहा गया है कि यदि सामान्य श्रेणी के सार्वजनिक स्थल पर उत्पीडऩ के अपराधों को रोका न जाये एवं संज्ञान में नहीं लिया जाये अथवा साक्ष्यों का उपयुक्त मूल्यांकन एवं दोषमुक्ति के कारणों का संधारण व समीक्षा का अभाव प्रदर्शित किया जाये तो यह आरोपी को निर्भीक बनाता है तथा उन्हें और अधिक गंभीर श्रेणी के अपराधों को कारित करने के लिये प्रोत्साहित करता है। छेड़छाड़ संबंधी भादवि की धारा 354 के अंतर्गत आरोपी की दोषमुक्ति होने से आरोपी, आसपास तथा अन्य असामाजिक व्यक्तियों को जघन्य अपराध कारित करने के लिये मनोबल मिलता है।
बीहड़ में स्थिति चिन्ताजनक :
निर्देशों में कहा गया है कि चंबल नदी और उसके बीहड़ क्षेत्र में स्त्री-पुरुष का कम लिंगानुपात है और वहां महिलाओं के प्रति पक्षपातपूर्ण विचारधारा की स्थिति में महिला का जीवन तब और अधिक विषम हो जाता है जब उसे इस प्रकार के उत्पीडऩ का सामना करना पड़ता है। यह वहां आत्मा की हत्या जैसा हो जाता है।
धारा 164 के बयान में मामूली भिन्नता :
निर्देश में बताया गया है कि पीडि़ता के धारा 161 एवं धारा 164 दप्रसं के अंतर्गत दिये गये कथन तथा कोर्ट में विचारण के दौरान दिये गये कथन में सामान्य भिन्नता को प्रतिकूल नहीं माना जाना चाहिये। इसे हाईकोर्ट ने भी कहा है। एफआईआर में सभी तथ्यों का उल्लेख होना आवश्यक नहीं है तथा हाईकोर्ट ने भी कथन देते समय सामान्य भूल-चूक होने से एफआईआर एवं पुलिस को दिये गये कथनों को संदेह से नहीं देखा जाना प्रतिपादित किया है। पीडि़ता एवं साक्षियों के कथनों में सामान्य विरोधाभास होने से आरोपी को लाभ नहीं दिया जाना भी हाईकोर्ट ने मान्य किया है।




- डॉ. नवीन जोशी

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