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प्रदेश में लागू हुआ मेंटल हेल्थ केयर कानून

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1166

राज्य स्तर पर किया अथारिटी का गठन, संभाग स्तर पर बोर्ड भी बनेंगे
20 सितंबर 2020। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के वर्ष 2017 में बने मेंटल हेल्थ केयर एक्ट तथा वर्ष 2018 में बने नियमों को लागू कर दिया है। साथ ही एक्ट के तहत स्टेट मेंटल हेल्थ अथारिटी का भी गठन कर दिया है। अब इस अथारिटी में अशासकीय विषय विशेषज्ञों को भी नियुक्त किया जायेगा तथा इसके बाद संभागीय स्तर पर रिव्यु बोर्ड भी बनाये जायेंगे।
यह काम करेगी अथारिटी :
उक्त अथारिटी प्रमुख सचिव स्वास्थ्य की अध्यक्षता में गठित की गई है जिसमें सामाजिक न्याय, गृह, वित्त एवं विधि विभाग के भी प्रतिनिधि सदस्य नियुक्त किये गये हैं। यह अथारिटी उन मानसिक चिकित्सा संस्थाओं, मेंटल हेल्थ डाक्टरों एवं प्रोफशनल्स, नशामुक्ति केंद्रों तथा परमर्श केंद्रों का रजिस्ट्रेशन करेगी जो मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही हैं या करना चाहती हैं। बिना रजिस्ट्रेशन ये सभी काम नहीं कर पायेंगे।
इसलिये बनाया गया कानून :
देश में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कानून वर्ष 1987 से प्रचलित था जिसमें अनेक कमियां थीं। भारत सरकार ने वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट संघ के उस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किये थे जिसमें मानसिक रोगियों के भी अधिकारों की बात कही गई थी। इसीलिये वर्ष 2017 में केंद्र को यह कानून लाना पड़ा।
अब यह होगा :
सामान्य मानसिक रोगी लिखित में अपनी वसीयत दे सकेगा कि उसे किस डाक्टर या अस्पताल में दिखाया जाये और कौन सा परिजन उसके साथ रहेगा। वह शॉक थैरेपी (बिजल के झटके देकर इलाज करना) दिये जाने से भी इंकार कर सकेगा। कानून में बच्चों को शॉक थैरेपी देने पर पूरी तरह रोक लगाई गई है। बीमा कंपनियों को मानसिक रोगियों का भी बीमा करना होगा। कानून में आत्महत्या का प्रयास करने वाले को अपराधी नहीं मानकर मानसिक रोगी माना माना गया है तथा उसे इलाज उपलब्ध कराने के लिये कहा है। कानून के तहत किसी भी तरह के नियम तोडऩे पर छह महीने जेल या 10000 रुपये जुर्माना या दोनों हो सकेगा। अपराध दोहराने पर दो साल जेल और 50000 रुपये से 5 लाख रुपये तक जुर्माना या दोनों हो सकेगा।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में मेंटल हेल्थ केयर कानून एवं नियम लागू किये गये हैं जिसके तहत स्टेट अथारिटी भी गठित कर दी गई है। इस एक्ट के अमल पर होने वाले व्यय में से साठ प्रतिशत केंद्र और चालीस प्रतिशत राज्य सरकार वहन करेगी। एक से दो साल तक केंद्र के नियमों से संचालन होगा और इसके बाद जरुरत पडऩे पर राज्य सरकार अपने स्वयं के नियम भी बना सकेगी। दो माह बाद संभाग स्तर पर रिव्यु बोर्ड बनेंगे। अथारिटी एवं बोर्ड को अर्ध न्यायिक शक्तियां दी गई हैं।




- डॉ. नवीन जोशी

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