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नेशनल पार्कों, और अभ्यारण के प्रवेश शुल्क की राशि का उपयोग उनके विकास में ही करना होगा

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1218

मप्र सरकार ने नये प्रावधान लागू किये,

अब तक वन विभाग के खजाने में जमा होती थी रकम

22 मई 2021। राज्य के वन विभाग द्वारा नियंत्रित नेशनल पार्कों, अभ्यारण्यों एवं चिडिय़ाघर में प्रवेश हेतु पर्यटकों से ली जाने वाली शुल्क की राशि का उपयोग अब इन्हीं के विकास, खास तौर पर पर्यटन विकास में करना होगा। इस संबंध में यह प्रावधान लागू कर दिया गया है।
दरअसल 9 जुलाई 2008 को राज्य सरकार ने प्रावधान किया था कि राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारणों एवं चिडिय़ाघरों में प्रवेश शुल्क की राशि विकास निधि में जमा की जायेगी। इससे पहले यह राशि वन विभाग के खजाने में जमा की जाती थी। ऐसा इसलिये किया गया था ताकि प्रवेश शुल्क की राशि से राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारणों एवं चिडिय़ाघरों में विकास कार्य विशेष तौर पर पर्यटन को बढ़ावा एवं नई सुविधायें देने के लिये किया जाये। लेकिन कुछ वर्षों बाद वन विभाग के आला अफसरों ने इस राशि को विभागीय बजट में रखे जाने का काम करना प्रारंभ कर दिया। इससे परेशानी यह हो रही थी कि वन पार्कों में विकास कार्य एवं ट्रेनिंग आदि के लिये शासन स्तर पर प्रस्ताव भेजने पड़ते थे जिनकी स्वीकृति में लम्बा समय लग जाता था। राज्य सरकार ने निर्णय लिया कि प्रवेश शुल्क की राशि को विकास निधि में ही जमा किया जाये।
25 करोड़ की आय होती है :
राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारणों एवं चिडिय़ाघरों से वन विभागों को सालाना करीब 25 करोड़ रुपयों की आय प्रवेश शुल्क से होती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रवेश शुल्क को वन विभाग के खजाने में जमा करने के स्थान पर इन्हीं वन उद्यानों में व्यय करने की बात कही हुई है। विकास निधि के लिये वन मुख्यालय स्तर पर एक राज्य स्तरीय कमेटी है जिसमें अब इन वन उद्यानों से विकास कार्यों के प्रस्ताव आ सकेंगे और जल्द इन पर स्वीकृति मिल सकेगी।
प्रदेश में इस समय आठ राष्ट्रीय उद्यान यथा बांधवगढ़, कान्हा, पन्ना, पेंच, संजय टाईगर रिजर्व सीधी, सतपुड़ा, वन विहार भोपाल एवं डायनासोर जीवाश्म धार हैं जबकि 25 अभ्यारण्य एवं इंदौर में एक चिडिय़ाघर है।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारणों एवं चिडिय़ाघर में प्रवेश शुल्क से मिलने वाली राशि अब विकास निधि में रखी जायेगी। इस हेतु बैंक खाता रहेगा। इसका कैग आडिट भी करेगा। इससे वन उद्यानों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के कार्यों पर राशि व्यय हो सकेगी।


डॉ. नवीन जोशी

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