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देश में मप्र जनसहभागिता से बिगड़े वनों के सुधार में अव्वल

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Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 8926

देश में मप्र जनसहभागिता से बिगड़े वनों के सुधार में अव्वल

भारत सरकार ने यूएनओ को भेजा प्रस्ताव

डॉ. नवीन जोशी

भोपाल 24 जून 2022। देश में मप्र राज्य जन सहभागिता से बिगड़े वनों के सुधार में अव्वल आया है। भारत सरकार ने इसे सराहा है तथा संयुक्त राष्ट्र संघ को उसके पर्यावरण सुधार संबंधी फ्लेगशिप इनीशियेटिव इकोसिस्टम रिस्टोरेशन दशक प्रोग्राम के अंतर्गत स्वीकृति के लिये भेज दिया है। यूएनओ से मंजूरी मिलने पर मप्र सरकार के प्रतिनिधि आगामी सितम्बर माह में यूएनओ की बैठक में इस प्रस्ताव के प्रेजेन्टेशन के लिये जा सकते हैं। इसे विश्वस्तरीय मान्यता मिलने पर अन्य देशों के लिये यह एक अच्छा उदाहरण साबित होगा।
उल्लेखनीय है कि मप्र में 94 हजार 689 वर्ग किमी अधिसूचित वन क्षेत्र में से 79 हजार 704 वर्ग किमी वन क्षेत्र का 15 हजार 608 ग्रामों के माध्यम से प्रबंधन किया जा रहा है। प्रदेश में 37 हजार 420 वर्ग किमी बिगड़ा वन क्षेत्र है जिसमें से जन सह भागिता से 0.34 मिलियन हैक्टेयर बिगड़ा वन क्षेत्र फिर हरा भरा बना दिया गया है और वर्ष 2030 तक 2.83 मिलियन हैक्टेयर बिगड़ा वन क्षेत्र सुधार दिया जायेगा।
दरअसल यूएनओ ने वर्तमान दशक में पर्यावरण सुधार के लिये किये गये उत्कृष्ट कार्यों के लिये सभी देशों से एन्ट्री मांगी थी। भारत सरकार ने इसके लिये सभी राज्यों से उनके उत्कृष्ट कार्यों की जानकारी मांगी। विभिन्न राज्यों से जो जानकारियां आईं उनमें से पांच उत्कृष्ट कार्यों का चयन किया गया है। इनमें केंद्र का नमामि गंगे कार्यक्रम, चिलकर झील संरक्षण उड़ीसा, बन्नी ग्रास लैंड रिस्टोरेशन गुजरात, कृषि वानिकी प्रोग्राम गुजरात तथा मप्र के समुदाय आधारित वन पुनस्र्थापन कार्यक्रम का चयन किया गया तथा इन्हें अब यूएनओ की स्वीकृति के लिये भेजा गया है। इनमें मप्र का कार्यक्रम बहुत बड़ा है जबकि बाकी राज्यों के कार्यक्रम छोटे स्तर के हैं। यूएनओ से स्वीकृति मिलने पर इन कार्यक्रमों को विश्वस्तरीय दर्जा मिल जायेगा तथा अन्य देशों को यूएनओ अनुसरण के लिये प्रोत्साहित करेगा। साथ ही इन स्वीकृत कार्यक्रमों के लिये विशेष पैकेज एवं सुविधायें भी प्रदान करेगा।
विभागीय अधिकारी ने बताया कि मप्र में जन सहभागिता से बिगड़े वनों के सुधार में अच्छा काम हुआ है। वर्ष 2030 तक सभी बिगड़े वनों को सुधार दिया जायेगा। भारत सरकार ने इसे सराहा है तथा यूएनओ की स्वीकृति के लिये इसे भेजा है।

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