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न्याय की भाषा मातृभाषा क्यों नहीं हो सकती- शिवराज सिंह चौहान

Place: Bhopal                                                👤By: DD                                                                Views: 1012

18 सितम्बर 2022, जबलपुर, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान रविवार को जबलपुर में न्यायमूर्ति जेएस वर्मा स्मृति व्याख्यान कार्यक्रम में कहा कि भारत में न्याय की भाषा मातृभाषा क्यों नहीं हो सकती। मध्य प्रदेश में राजभाषा हिंदी में न्याय किया जाए और अन्य प्रांतों में वहां की स्थानीय भाषा में बहस सुनी और फैसले सुनाए जाएं। यह इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि भारत की 92 प्रतिशत जनसंख्या को अंग्रेजी नहीं आती। जहां तक मध्य प्रदेश शासन का सवाल है, तो उसने इसी वर्ष से मेडिकल व इंजीनियरिंग की शिक्षा हिंदी माध्यम से शुरू करने का कदम उठा लिया है। उन्हाेंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को याद किया जिन्होंने संयुक्त राष्ट्रसंघ में हिंदी में भाषण दिया था। साथ ही, वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उल्लेख किया जो दुनिया के अनेक देशों में बिना किसी झिझक के हिंदी में भाषण दे चुके हैं।
आम आदमी आंख मूंदकर न्यायपालिका पर भरोसा करता है
शिवराज ने कहा कि प्रदेश की धरती से उभरकर राष्ट्रीय न्यायिक क्षितिज पर छा जाने वाले न्यायमूर्ति जगदीश शरण वर्मा का जिक्र छिड़ते ही हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। उनका नाम सुनते ही संपूर्ण न्याय-जगत गर्व से भर जाता है। विशाखा गाइडलाइन व निर्भया मामले में न्यायमूर्ति वर्मा के न्यायिक योगदान को कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। दरअसल, न्यायपालिका की यही तो गरिमा है कि आम आदमी आंख मूंदकर न्यायपालिका पर भरोसा करता है, क्योंकि उसे पूरा भरोसा होता है कि उसे न्याय मिलकर ही रहेगा।



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