भोपाल 18 अक्टूबर 2022। उज्जैन में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में महेश्वर जल विद्युत परियोजना के सम्बंध में निजी परियोजनकर्ता के साथ हुए सभी समझौतों के रद्द करने का अनुमोदन कर दिया गया। महेश्वर परियोजना के खिलाफ नर्मदा बचाओ आन्दोलन के तहत प्रभावितों के 25 वर्ष के निरंतर संघर्ष की यह एक एतिहासिक जीत है और इस प्रकार इस परियोजना के रद्द होने से प्रदेश की जनता का 42000 करोड़ रुपया लुटने से बच जायेगा। यह बात बुधवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन के आलोक अग्रवाल ने अपने एक बयान कही।
अग्रवाल ने बताया कि राज्य मंत्रिमंडल ने महेश्वर जल विद्युत परियोजना के संबंध में पांच समझौतों के रद्द करने का अनुमोदन किया है जिनमें शामिल हैं : 11 नवंबर 1994 को विद्युत क्रय समझौता, 27 मई 1996 को विद्युत क्रय समझौता संशोधन, 27 मई 1996 को इम्प्लीमेंटेशन एग्रीमेंट, 24 फरवरी 1997 को पुनर्वास व पुनस्र्थापना समझौता और 16 सितंबर 2005 को अमेंडेटेरी एंड रीस्टेटेड एग्रीमेंट। साथ ही इन समझौतों से जुड़ी राज्य सरकार की सभी गारन्टियों और काउंटर गारन्टियों को भी रद्द कर दिया गया है।
अग्रवाल ने बताया कि महेश्वर परियोजना के तहत नर्मदा नदी पर खरगोन जिले में एक बड़ा बांध बनाया जा रहा है। 400 मेगवाट क्षमता वाली इस बिजली परियोजना को निजीकरण के तहत 1994 में एस कुमार समूह की कंपनी श्री महेश्वर हायडल पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को दिया गया था। राज्य सरकार ने कंपनी के साथ सन 1994 में विद्युत क्रय समझौता और सन 1996 में संशोधित विद्युत क्रय समझौता किया था। इस जनविरोधी समझौते के अनुसार बिजली बने या न बने और बिके या न बिके फिर भी जनता का करोड़ों रुपया 35 वर्ष तक निजी परियोजनाकर्ता को दिया जाता रहना था। इस परियोजना की डूब में 61 गांव प्रभावित हो रहे थे।
- डॉ. नवीन जोशी
महेश्वर विद्युत प्रोजेक्ट रद्द होने से बचे 42 हजार करोड़ : नर्मदा बचाओ आंदोलन
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