
1 अक्टुबर 2023। कनाडा इंडिया फाउंडेशन ने रविवार को टोरंटो में आयोजित एक समारोह में प्रसिद्ध लेखिका सुधा मूर्ति को ग्लोबल इंडियन अवार्ड से सम्मानित किया। यह पुरस्कार दुनियाभर के भारतीय मूल के व्यक्तियों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है।
इस पुरस्कार के लिए उन्हें चुनने के लिए कनाडा इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) को धन्यवाद देते हुए मूर्ति ने कहा, 'सीआईएफ महाभारत में कृष्ण की तरह है। कृष्ण देवकी के भी पुत्र हैं और यशोदा के भी। देवकी उनको जन्म देने वाली मां थीं और यशोदा ने उनका पालन-पोषण किया। आप भारत में पैदा हुए हैं लेकिन यहीं बसे हैं, यह यशोदा है और आपकी माता भारत है।'
दोनों देशों के बीच एक सेतु के रूप में भारत-कनाडाई प्रवासियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, 'आप एक अलग भूमि में भारतीय संस्कृति के वाहक हैं। कृपया इसे जारी रखें।' जैसा कि उनके पति को भी 2014 में यही पुरस्कार दिया गया था, सुधा मूर्ति ने हंसी के बीच कहा, 'इस पुरस्कार के बारे में एक मजेदार बात है क्योंकि नारायण मूर्ति को भी यह पुरस्कार 2014 में मिला था और मुझे यह 2023 में मिला है। इसलिए पुरस्कार प्राप्त करने वाले हम पहले जोड़े हैं।'
उन्होंने पुरस्कार राशि द फील्ड इंस्टीट्यूट (टोरंटो विश्वविद्यालय) को दान कर दी, जो गणित और कई विषयों में सहयोग, नवाचार और सीखने को मजबूत करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है। टोरंटो उत्सव कार्यक्रम में सुधा मूर्ति के साथ उनके दामाद और ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक के माता-पिता भी थे।
सुधा मूर्ति को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया है। उन्होंने 20 से अधिक उपन्यास, कहानी संग्रह और बच्चों की किताबें लिखी हैं। उनकी किताबें दुनियाभर में लाखों लोगों ने पढ़ी हैं।
सुधा मूर्ति ने पुरस्कार मिलने पर कहा, "मैं इस सम्मान से बहुत सम्मानित महसूस कर रही हूं। यह पुरस्कार मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि है। मैं अपने परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों को धन्यवाद देती हूं।"
सुधा मूर्ति का जन्म कर्नाटक के मंगलुरु में हुआ था। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलुरु से कंप्यूटर विज्ञान में एम.टेक की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने नारायण मूर्ति से शादी की, जो एक भारतीय व्यवसायी हैं।
सुधा मूर्ति ने अपने लेखन के माध्यम से भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को चित्रित किया है। उनकी किताबें महिलाओं, बच्चों, गरीबों और वंचितों की कहानियां बताती हैं।
सुधा मूर्ति के इस सम्मान से भारतीय मूल के लोगों को प्रेरणा मिलेगी। यह दिखाता है कि भारतीय मूल के लोग किसी भी क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।