
7 अप्रैल 2025 | प्रतिवाद ब्यूरो
भारत समुद्री सुरक्षा और रणनीतिक क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है। दक्षिण-पूर्वी तट पर परमाणु पनडुब्बियों और युद्धपोतों के लिए एक अत्याधुनिक और गोपनीय नौसैनिक अड्डा तैयार किया जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में भारत की रक्षा नीति को नया बल देगा।
⚓ रामबिली: भारत की सामरिक योजनाओं का नया केंद्र
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, विशाखापत्तनम से लगभग 50 किलोमीटर दक्षिण में रामबिली गाँव के पास यह नया रणनीतिक नौसैनिक अड्डा आकार ले रहा है। यह बेस विशेष रूप से परमाणु पनडुब्बियों के लिए तैयार किया जा रहा है और इसमें भूमिगत सुरंगों व संरक्षित गोदियों का जाल होगा — जिससे भारत की परमाणु त्रैतीय शक्ति को अधिक मजबूती और गुप्तता मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार, बेस के पहले चरण का काम लगभग पूरा हो चुका है और 2026 में इसके आधिकारिक उद्घाटन की संभावना है। इसके बाद इस सुविधा का विस्तार उसी प्रकार होगा जैसा कर्नाटक के कारवार में प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत हुआ था।
⚓ दशकों पुरानी योजना को मिली गति
रामबिली प्रोजेक्ट पर कार्य एक दशक से भी पहले शुरू हुआ था, लेकिन पर्यावरणीय और तकनीकी जटिलताओं के चलते इसमें समय लगा। अब स्थिति यह है कि आंतरिक बंदरगाह तैयार है और बाहरी बंदरगाह का निर्माण कार्य — जिसमें ब्रेकवाटर और जेटी निर्माण शामिल है — तेजी से चल रहा है।
⚓ INS अरिधमान से बढ़ेगी भारत की समुद्री शक्ति
भारत इस साल के अंत तक अपनी तीसरी परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, INS अरिधमान, को नौसेना में शामिल कर सकता है। यह 7,000 टन विस्थापन के साथ पहले से सेवा में मौजूद INS अरिहंत और INS अरिघाट से बड़ी और अधिक सक्षम होगी।
⚓ सुरक्षा कैबिनेट समिति की बड़ी मंजूरी
पिछले वर्ष अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने दो परमाणु-संचालित पारंपरिक स्ट्राइक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दी थी। यह प्रोजेक्ट $5 बिलियन से अधिक की लागत वाला है, जो भारत की रक्षा तैयारियों को एक नई धार देगा।
🚢 प्रोजेक्ट सीबर्ड: समुद्र की गहराइयों से उभरती ताक़त
हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कर्नाटक के कारवार में एक नई परिचालन, मरम्मत और लॉजिस्टिक्स सुविधा का उद्घाटन किया। यह आधार, जिसे प्रोजेक्ट सीबर्ड के तहत विकसित किया गया है, अब 32 प्रमुख युद्धपोतों और पनडुब्बियों को संभालने की क्षमता रखता है। उद्घाटन को राष्ट्रीय समुद्री दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया — जो भारत के समुद्री महत्व की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक है।
राजनाथ सिंह ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, "हम यह सुनिश्चित करते हैं कि भारत के हितों की रक्षा बिना उसकी संप्रभुता से समझौता किए की जाए।" उन्होंने यह भी जोड़ा कि जैसे-जैसे भारत हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में अपनी उपस्थिति मजबूत कर रहा है, यह उसके मित्र राष्ट्रों की सुरक्षा में भी योगदान देगा।
🚢 रूसी सहयोग के साथ समुद्री अभ्यास
भारत और रूस की नौसेनाओं ने हाल ही में बंगाल की खाड़ी में इंद्र-2025 नौसैनिक अभ्यास सफलतापूर्वक पूरा किया, जो भारत की बढ़ती रणनीतिक कूटनीति का एक और प्रमाण है।
यह कदम न केवल भारत की सुरक्षा रणनीति को मजबूती देता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि भारत अब समुद्री सीमाओं की रक्षा के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर और सक्षम राष्ट्र बन रहा है।
✍ रिपोर्ट: प्रतिवाद डेस्क | संपादन: दीपक शर्मा
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