
प्रतिवाद डॉट कॉम विशेष रिपोर्ट | डिजिटल न्यूज़ चैनल
8 अप्रैल 2025। डिजिटल क्रांति के इस युग में इंटरनेट हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता बन चुका है। जहां एक ओर Elon Musk की Starlink दुनिया भर में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा से क्रांति ला रही है, वहीं अब Google ने भी अपनी अत्याधुनिक तकनीक TARA (Tejas and Rajan) के ज़रिए एक नया इंटरनेट सिस्टम पेश किया है, जो सस्ता, तेज़ और पर्यावरण के लिए अधिक अनुकूल बताया जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है Google TARA और यह Starlink से कैसे अलग है।
📡 क्या है Google TARA Internet Project?
TARA, जिसका पूरा नाम "Tejas and Rajan" है, Google's X (Moonshot Factory) की एक परियोजना है जो लेज़र बीम की मदद से इंटरनेट डाटा को ट्रांसमिट करती है। इस तकनीक में फाइबर ऑप्टिक के समान ही स्पीड मिलती है, लेकिन फाइबर केबल बिछाने की ज़रूरत नहीं होती।
TARA सिस्टम में दो टर्मिनल्स होते हैं जो एक-दूसरे को लेज़र लाइट से डेटा ट्रांसमिट करते हैं, यह तकनीक लाइन-ऑफ-साइट पर आधारित है, यानी दो टावरों के बीच में कोई रुकावट नहीं होनी चाहिए।
📡 Starlink क्या है?
Starlink एक सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा है जिसे Elon Musk की कंपनी SpaceX चला रही है। इसमें हजारों छोटे-छोटे उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में घूमते हैं और पृथ्वी पर इंटरनेट सेवा प्रदान करते हैं।
TARA बनाम Starlink: मुख्य अंतर
बिंदु Google TARA Starlink
तकनीक लेज़र कम्युनिकेशन (Free-space Optical Communication) सैटेलाइट ब्रॉडबैंड
संरचना ज़मीन पर दो टर्मिनल के बीच लेज़र लिंक पृथ्वी की निचली कक्षा में हजारों उपग्रह
इंस्टॉलेशन लागत कम (फाइबर बिछाने की आवश्यकता नहीं) बहुत अधिक (सैटेलाइट लॉन्च की लागत)
स्पीड 20 Gbps तक (फाइबर के समान) 50 Mbps से 250 Mbps तक
दूरी अधिकतम 20 किमी तक लाइन-ऑफ-साइट दुनिया के किसी भी कोने तक
मौसम प्रभाव धूल, कोहरा या बारिश से प्रभावित हो सकता है भारी बारिश/बर्फ में थोड़ा असर
टारगेट यूज़ ग्रामीण, जंगल, नदी पार क्षेत्र विश्वव्यापी कवरेज, दूरदराज इलाके
ऊर्जा खपत कम अधिक (सैटेलाइट पावर व ग्राउंड टर्मिनल)
📡 भारत में Google TARA की शुरुआत
Google ने भारत में TARA प्रोजेक्ट की शुरुआत आंध्र प्रदेश सरकार के सहयोग से की थी, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ फाइबर इंटरनेट पहुंचाना कठिन था। इसकी सफलता के बाद अब इस तकनीक को अफ्रीका के कुछ देशों और एशिया के अन्य हिस्सों में भी ले जाया जा रहा है।
📡 फायदे और चुनौतियां
TARA के फायदे:
फाइबर बिछाने की ज़रूरत नहीं
ग्रामीण इलाकों में तेज़ इंटरनेट
सस्ता और लो एनर्जी सॉल्यूशन
🔴 चुनौतियां:
साफ दृश्य (line of sight) आवश्यक
खराब मौसम में कनेक्शन पर असर
सीमित दूरी तक ही सेवा
📡 क्या TARA इंटरनेट Starlink को टक्कर दे सकता है?
TARA और Starlink दोनों ही अपनी-अपनी जगह पर बेहद अहम हैं। Starlink जहाँ वैश्विक स्तर पर दूरस्थ इलाकों को कवर करने की कोशिश कर रहा है, वहीं TARA विशेष रूप से उन स्थानों के लिए उपयुक्त है जहाँ फाइबर पहुंचाना असंभव है लेकिन दो टावरों के बीच सीधा दृश्य उपलब्ध है।
Google की यह तकनीक भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में एक Game Changer साबित हो सकती है, खासकर उन गाँवों में जहाँ इंटरनेट आज भी सपना है।
TARA और Starlink दोनों ही इंटरनेट की नई क्रांति के वाहक हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि एक आकाश से सेवा दे रहा है और दूसरा धरती पर रोशनी की किरणों के माध्यम से। आने वाले समय में ये दोनों तकनीकें मिलकर दुनिया को और भी ज़्यादा डिजिटल रूप से जुड़ा हुआ बना सकती हैं।